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मध्यप्रदेश की प्रमुख खेल संस्थाएं mppsc mains.

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मध्यप्रदेश की प्रमुख खेल संस्थाएं      प्रमुख संस्थाएं    स्थान     गठित वर्ष  1.खेलकूद एवं युवा कल्याण विभाग     भोपाल   1975 2.पारसी क्रिकेट क्लब     इंदौर   1890 3.मध्य प्रदेश बैडमिंटन एसोसिएशन    जबलपुर 1946    वर्तमान इंदौर 1998 4.मध्य प्रदेश टेबल टेनिस एसोसिएशन     जबलपुर 1957   वर्तमान इंदौर 1972 5.मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन / होलकर क्रिकेट एसोसिएशन    इंदौर    1947 6.महिला हॉकी एकेडमी   ग्वालियर     2006 7.पुरुष हॉकी एकेडमी सीनियर    तुलसी नगर भोपाल 8.घुड़सवारी एकेडमी    विष खेड़ी भोपाल 9.अभिनव बिंद्रा शूटिंग एकेडमी    भोपाल 10.साइकिलिंग एकेडमी    जबलपुर 11.तीरंदाजी एकेडमी    जबलपुर 12.मार्शल आर्ट एकेडमी    भोपाल 13.वॉटर स्पोर्ट अकैडमी    भोपाल 14.मलखंब अकादमी    उज्जैन 15.एथलेटिक्स अकादमी    भोपाल मध्यप्रदेश में स्टेडियम   प्रमुख स्टेडियम    स्थान    विशेषता  1.ऐशबाग स्टेडियम    भोपाल 2.नेहरू स्टेडियम    इंदौर 3.रानीताल स्टेडियम    भोपाल 4.होलकर क्रिकेट स्टेडियम / उषा राजे स्टेडियम    इंदौर 5.रूप सिंह क्रिकेट स्टेडियम ग्वालियर    दूधिया प्रकाश से प्रकाशित पहला मध्य प्रदेश का

मध्य प्रदेश में पशुपालन की विशेष जानकारी mppsc mains.

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कुक्कुट पालन  (Poultry farming):-     मांस अथवा अंडे की प्राप्ति के लिए मुर्गीपालन एक बेहतर सुविधा है तथा यह रोजगार का भी एक प्रमुख साधन है इनका उत्पादन करके आय प्राप्त की जा सकती है तथा इनके मलमूत्र से खाद व कम्पोस्ट बनाया जाता है अंत: वर्तमान समय में मुर्गीपालन अथवा कुक्कुट पालन एक बेहतर व्यवसाय है जो लोगो की जिविका का महत्वपूर्ण साधन है | मुर्गी पालन प्रदेश के गरीब व कमजोर वर्ग की आजीविका का साधन है मध्यप्रदेश में मुर्गी पालन के विकास एवं वैज्ञानिक प्रबंधन हेतु नवंबर 1982 में पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम की स्थापना भोपाल में की गई है इसका मुख्य उद्देश्य कुक्कुट उत्पादन, उपार्जन, संग्रहण एवं विपणन करना है मध्यप्रदेश में मुर्गी की 20 से 25 नस्लें आर्थिक दृष्टि से उपयुक्त व पालने योग्य मानी जाती है इनमें से कुछ देशी और कुछ विदेशी नस्लें हैं | 1  देसी नस्लें:-  असील, घाघसगयक, चिटगांव, बसरा, कड़कनाथ (झाबुआ)| 2 विदेशी नस्ल:-  व्हाइटलेग हॉर्न , निमोरिक , कैम्पिनेरा आदि | ➤असील भारत की सर्वोत्तम मांस वाली मुर्गे की नस्ल, जबकि कड़कनाथ मूलतः मध्यप्रदेश की मुर्गे की नस्ल है  जो झाबुआ, अलीराजपु

मध्यप्रदेश पुलिस सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी, MPGK.

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मध्यप्रदेश में पुलिस प्रशासन➨ ➽पुलिस विभाग राज्य के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी पुलिस महानिदेशक(DGP)  होता है जबकि पहले यह पद पुलिस महानिरीक्षक के रूप में होता था। राज्य के गठन के समय पुलिस रेंज की संख्या 5 थी जो वर्तमान में 11 है प्रत्येक रेंज का अधिकारी उप महानिरीक्षक (DIG)  होता है। ➽जिले का सबसे बड़ा पुलिस अधीक्षक एसपी(SP) होता है प्रत्येक जिले में कई सर्कल होते हैं जिनका अधिकारी एसडीओपी(SDOP) होता है तथा सर्कल कई थानों में बटा हुआ होता है ।     ➽मध्यप्रदेश में डीआईजी(DIG) रेंज 15 तथा पुलिस जिलों की संख्या 55 है। ➽कुल पुलिस थानों की संख्या लगभग 1050 है । ➽मध्य प्रदेश का इंदौर डीआईजी ऑफिस देश का पहला ISO 9001:2300 प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाला DIG ऑफिस  है। ➽सागर में 1906 में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल खोला गया था जिसे 1936 में उन्नत कॉलेज बना दिया गया। ➽राज्य में विशेष सशस्त्र बल का अधिकारी महानिदेशक होता है। ➽मध्यप्रदेश में पुलिस वायरलेस प्रशिक्षण महाविद्यालय इंदौर में है। ➽मध्यप्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण हेतु पुलिस महाविद्यालय की स्थापना जवाहरलाल नेहरू पुलि

साँची स्थल के महत्वपूर्ण तथ्य |

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साँची ➤रायसेन जिले मैं बेतवा नदी के तट पर भोपाल से 46 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है | ➤ यह बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल है ,जिसका प्राचीन नाम बौद्ध श्री पर्वत था | ➤मौर्य सम्राट अशोक ने लगभग 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया जिसमे से तीन स्तूप साँची मे अवस्थित है | ➤साँची का स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है जिसकी ऊंचाई 36 मीटर है | ➤यहाँ के स्तूपों में बौद्ध के शिस्य महामोग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियां रखी हुई है  | ➤साँची स्थित बौद्ध स्तूपों को यूनेस्को में 1989 में विश्व संरक्षण सूचि में शामिल किया गया | ➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना यहाँ की गई | ➤साँची में स्तूप की वेदिकाओं का निर्माण शुंग राजा पुष्य मित्र सुंग ने करवाया था | ➤साँची के स्तूप में निर्मित विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णि ने करवाया था | ➤साँची के स्तूपों की खोज प्रमुख पुरातत्वशास्त्री कनिंघम ने की थी | ➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी जिसके शिलान्यास में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे शामिल हुए थे | ➤यहाँ चन्द्रगुप्त विक्रमादित्

माण्डव दुर्ग की सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी |

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मांडू / माण्डव    :-  ➤इंदौर के धार जिले में अवस्थित मांडव गढ़ को ही मांडू कहा जाता है, जो विंध्यांचल पर्वतमाला में स्थित है। ➤मांडू का प्राचीन नाम मांडाप था । जिसे सिटी ऑफ जॉय या आनंद की नगरी भी कहा जाता है । ➤अन्य नाम करीमाबाग मछली नगरी । ➤परमार शासक जयवर्मन द्वितीय या जीगुती ने अपनी राजधानी धार से मांडू परिवर्तित की थी । ➤चंद्र सिंह के अभिलेख अनुसार चंद्र सिंह ने 600 ईसवी में मांडव दुर्ग में पार्श्वनाथ का मंदिर बनवाया था। ➤मांडू को 2018 में सर्वश्रेष्ठ हेरिटेज सिटी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ➤मांडू को बाज बहादुर व रानी रूपमती कि प्रणब गाथा से भी जोड़ा जाता है। ➤मांडू में दाखिल होने के लिए 12 दरवाजे हैं। मुख्य रास्ता दिल्ली दरवाजा कहलाता है दूसरे दरवाजे रामगोपाल दरवाजा , जहांगीर दरवाजा , तारापुर दरवाजा और अन्य कई दरवाजे हैं । दर्शनीय स्थल :-    जहाज महल , हिंडोला महल , होशंग शाह का मकबरा , जामा मस्जिद , अशर्फी महल , रीवा कुंड , रूपमती मंडल , नीलकंठ महल  , हाथी महल तथा लोहानी गुफाएं प्रमुख है । MUST VISIT OUR SECOND MPPSC EDUCATION WEBSITE   नमस्कार

खजुराहों के बारे में सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी |

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खजुराहो :- ➤मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित यह मंदिर विश्व धरोहर सूची में शामिल है, जिन्हें कामुक कला की मूर्तियों की प्रसिद्धि के लिए जाना जाता है । ➤इन मूर्तियों का निर्माण नगारा वास्तुकला द्वारा हुआ है पूर्व में यह मंदिर खजूर वाहक के नाम से जाना जाता था। ➤इन मंदिरों की तामीर चंदेल राजा धंग ने रखी थी। ➤इनकी प्रारंभिक संख्या 85 थी जो घटकर वर्तमान में लगभग 24 रह गई है । दर्शनीय स्थल :-  पश्चिमी समूह :-  कंदरिया महादेव , 64 योगिनी , चित्रगुप्त , विश्वनाथ मंदिर , लक्ष्मण मंदिर तथा मातंगेश्वर मंदिर पूर्वी समूह :- पार्श्वनाथ मंदिर , घंटाई मंदिर , आदिनाथ मंदिर । दक्षिण समूह:- दूल्हा देव मंदिर तथा चतुर्भुज मंदिर आदि। ➤इन मंदिरों के अभिलेखों को कुछ तथ्य मिले हैं जिससे पता चलता है कि मंदिरों का निर्माण पूरा 970 1030 ईसा पूर्व में हुआ था  । ➤पारसी इतिहास अलबरूनी के अनुसार महमूद गजनवी ने 1022 ईसा पूर्व में कालिंजर (खजुराहो) जेजाक भूक्ती की राजधानी पर आक्रमण किया था जो असफल रहा । ➤यहां पर बनाए गए मंदिरों में हिंदू धर्म के चारों पुरुषार्थ धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष एक सा