साँची स्थल के महत्वपूर्ण तथ्य |
साँची
➤रायसेन जिले मैं बेतवा नदी के तट पर भोपाल से 46 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है |
➤ यह बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल है ,जिसका प्राचीन नाम बौद्ध श्री पर्वत था |
➤मौर्य सम्राट अशोक ने लगभग 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया जिसमे से तीन स्तूप साँची मे अवस्थित है |
➤साँची का स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है जिसकी ऊंचाई 36 मीटर है |
➤यहाँ के स्तूपों में बौद्ध के शिस्य महामोग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियां रखी हुई है |
➤साँची स्थित बौद्ध स्तूपों को यूनेस्को में 1989 में विश्व संरक्षण सूचि में शामिल किया गया |
➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना यहाँ की गई |
➤साँची में स्तूप की वेदिकाओं का निर्माण शुंग राजा पुष्य मित्र सुंग ने करवाया था |
➤साँची के स्तूप में निर्मित विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णि ने करवाया था |
➤साँची के स्तूपों की खोज प्रमुख पुरातत्वशास्त्री कनिंघम ने की थी |
➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी जिसके शिलान्यास में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे शामिल हुए थे |
➤यहाँ चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के सेनापति आम्रकादेव का भी एक अभिलेख है |
नमस्कार दोस्तों , यह ब्लॉग हमारे द्वारा आज से शुरू किया गया है | जिसमे आपको प्रतिदिन MAINS के ANSWERS सम्पूर्ण तथ्ययात्मक जानकारी के साथ मिलेंगे | हमारे द्वारा प्रदान किये गए उत्तर सुस्पष्ट एवं सहीं होंगे जो आपको परीक्षा में उत्तीर्ण होने में मदद प्राप्त करेंगे |
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➤रायसेन जिले मैं बेतवा नदी के तट पर भोपाल से 46 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है |
➤ यह बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल है ,जिसका प्राचीन नाम बौद्ध श्री पर्वत था |
➤मौर्य सम्राट अशोक ने लगभग 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया जिसमे से तीन स्तूप साँची मे अवस्थित है |
➤साँची का स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है जिसकी ऊंचाई 36 मीटर है |
➤यहाँ के स्तूपों में बौद्ध के शिस्य महामोग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियां रखी हुई है |
➤साँची स्थित बौद्ध स्तूपों को यूनेस्को में 1989 में विश्व संरक्षण सूचि में शामिल किया गया |
➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना यहाँ की गई |
➤साँची में स्तूप की वेदिकाओं का निर्माण शुंग राजा पुष्य मित्र सुंग ने करवाया था |
➤साँची के स्तूप में निर्मित विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णि ने करवाया था |
➤साँची के स्तूपों की खोज प्रमुख पुरातत्वशास्त्री कनिंघम ने की थी |
➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी जिसके शिलान्यास में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे शामिल हुए थे |
➤यहाँ चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के सेनापति आम्रकादेव का भी एक अभिलेख है |
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