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Showing posts from March, 2020

साँची स्थल के महत्वपूर्ण तथ्य |

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साँची ➤रायसेन जिले मैं बेतवा नदी के तट पर भोपाल से 46 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है | ➤ यह बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल है ,जिसका प्राचीन नाम बौद्ध श्री पर्वत था | ➤मौर्य सम्राट अशोक ने लगभग 84000 स्तूपों का निर्माण करवाया जिसमे से तीन स्तूप साँची मे अवस्थित है | ➤साँची का स्तूप विश्व का सबसे बड़ा स्तूप है जिसकी ऊंचाई 36 मीटर है | ➤यहाँ के स्तूपों में बौद्ध के शिस्य महामोग्लायन और सारिपुत्र की अस्थियां रखी हुई है  | ➤साँची स्थित बौद्ध स्तूपों को यूनेस्को में 1989 में विश्व संरक्षण सूचि में शामिल किया गया | ➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना यहाँ की गई | ➤साँची में स्तूप की वेदिकाओं का निर्माण शुंग राजा पुष्य मित्र सुंग ने करवाया था | ➤साँची के स्तूप में निर्मित विशाल प्रवेश द्वार का निर्माण सातवाहन राजा गौतमीपुत्र सातकर्णि ने करवाया था | ➤साँची के स्तूपों की खोज प्रमुख पुरातत्वशास्त्री कनिंघम ने की थी | ➤2012 में बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गयी जिसके शिलान्यास में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे शामिल हुए थे | ➤यहाँ चन्द्रगुप्त विक्रमादित्

माण्डव दुर्ग की सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी |

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मांडू / माण्डव    :-  ➤इंदौर के धार जिले में अवस्थित मांडव गढ़ को ही मांडू कहा जाता है, जो विंध्यांचल पर्वतमाला में स्थित है। ➤मांडू का प्राचीन नाम मांडाप था । जिसे सिटी ऑफ जॉय या आनंद की नगरी भी कहा जाता है । ➤अन्य नाम करीमाबाग मछली नगरी । ➤परमार शासक जयवर्मन द्वितीय या जीगुती ने अपनी राजधानी धार से मांडू परिवर्तित की थी । ➤चंद्र सिंह के अभिलेख अनुसार चंद्र सिंह ने 600 ईसवी में मांडव दुर्ग में पार्श्वनाथ का मंदिर बनवाया था। ➤मांडू को 2018 में सर्वश्रेष्ठ हेरिटेज सिटी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ➤मांडू को बाज बहादुर व रानी रूपमती कि प्रणब गाथा से भी जोड़ा जाता है। ➤मांडू में दाखिल होने के लिए 12 दरवाजे हैं। मुख्य रास्ता दिल्ली दरवाजा कहलाता है दूसरे दरवाजे रामगोपाल दरवाजा , जहांगीर दरवाजा , तारापुर दरवाजा और अन्य कई दरवाजे हैं । दर्शनीय स्थल :-    जहाज महल , हिंडोला महल , होशंग शाह का मकबरा , जामा मस्जिद , अशर्फी महल , रीवा कुंड , रूपमती मंडल , नीलकंठ महल  , हाथी महल तथा लोहानी गुफाएं प्रमुख है । MUST VISIT OUR SECOND MPPSC EDUCATION WEBSITE   नमस्कार

खजुराहों के बारे में सम्पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी |

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खजुराहो :- ➤मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित यह मंदिर विश्व धरोहर सूची में शामिल है, जिन्हें कामुक कला की मूर्तियों की प्रसिद्धि के लिए जाना जाता है । ➤इन मूर्तियों का निर्माण नगारा वास्तुकला द्वारा हुआ है पूर्व में यह मंदिर खजूर वाहक के नाम से जाना जाता था। ➤इन मंदिरों की तामीर चंदेल राजा धंग ने रखी थी। ➤इनकी प्रारंभिक संख्या 85 थी जो घटकर वर्तमान में लगभग 24 रह गई है । दर्शनीय स्थल :-  पश्चिमी समूह :-  कंदरिया महादेव , 64 योगिनी , चित्रगुप्त , विश्वनाथ मंदिर , लक्ष्मण मंदिर तथा मातंगेश्वर मंदिर पूर्वी समूह :- पार्श्वनाथ मंदिर , घंटाई मंदिर , आदिनाथ मंदिर । दक्षिण समूह:- दूल्हा देव मंदिर तथा चतुर्भुज मंदिर आदि। ➤इन मंदिरों के अभिलेखों को कुछ तथ्य मिले हैं जिससे पता चलता है कि मंदिरों का निर्माण पूरा 970 1030 ईसा पूर्व में हुआ था  । ➤पारसी इतिहास अलबरूनी के अनुसार महमूद गजनवी ने 1022 ईसा पूर्व में कालिंजर (खजुराहो) जेजाक भूक्ती की राजधानी पर आक्रमण किया था जो असफल रहा । ➤यहां पर बनाए गए मंदिरों में हिंदू धर्म के चारों पुरुषार्थ धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष एक सा